Sitaram - Couverture rigide

Chattopadhyay, Bankim Chandra

 
9789367938812: Sitaram

Synopsis

सीताराम के एक अध्यापक ब्राह्मण थे, जो पुरोहित के समान थे। वे रेशमी धोती पहनते और रामनामी चादर ओढ़ते थे। केवल एक लंबी चोटी सिर पर थी। केशों के अभाव में चंदन का प्रयोग अधिक करते थे। खूब लंबा-चौड़ा, डील-डौल और आकृति से पूरे ब्राह्मण देवता लगते थे। उनका नाम था-चन्द्रचूड़ तर्कालंकार। वे सीताराम पर बहुत स्नेह रखते थे। जहाँ सीताराम जाकर रहते, चन्द्रचूड़ भी वहीं जाकर रहने लगते। आजकल वे 'भूषणा' में ही रह रहे थे। चन्द्रचूड़ भी उसी श्रेणी के व्यक्ति थे। जैसे आजकल कई अध्यापक व्याकरण तथा साहित्य पढ़ाने में निपुण होने के साथ-साथ अशासित ताल्लुके में दंगा कराने में भी कुशल होते हैं। कुछ समय पश्चात् कोठी से निकलकर सीताराम अपने गुरुदेव के पास पहुँचे। चन्द्रचूड़ से एकांत में सीताराम की अनेक बाते हुईं-अंत में चन्द्रचूड़ तथा सीताराम ने उसी रात को घर से निकलकर शहर के अनेक लोगों से भेंट की। रात के अंत में सीताराम ने वापस आकर अपने परिवार को अपने एक विश्वासपात्न नौकर के साथ मधुमती नदी के उस पार भेज दिया। ... इसी उपन्यास से

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